Introduction to Amazing Stories of India Thousands of Years Ago

हजारों साल पहले भारत की अद्भुत कहानियाँ का प्रस्ताव भारत के इतिहास में पहली बार अद्भुत और अचंभित करने वाली कहानी हजारों साल पहले क्या यही भी हुआ था

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अद्भुत कहानियाँ

औपनिवेशिक काल के दौरान लिखा गया था कि भारत के इतिहास की शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता से हुई थी, जिसके बारे में झूठ बोला गया था कि जब इस सभ्यता का अंत हुआ

तब आर्यों ने भारत पर आक्रमण किया और उन्होंने वेदों की रचनाओं के बारे में आधुनिक इतिहासकारों और दार्शनिकों के विद्रोह का प्रतिपादन किया कि हमारे 500 ईसा पूर्व से पहले का कोई भी अधिकारकालानुक्रमिक इतिहास नहीं है,

बल्कि वास्तविक रूप से पुरातात्विक इतिहास काकोली है और वैज्ञानिक साक्ष पर आधारित उन्नत शोध से पता चलता है कि खोलो सीन से लेकर भारत का निरंतरता में कालानुक्रमिक इतिहास भारतीय गौरव से मूल इतिहास के रूप में विभाजित होता है, इसका अर्थ यह होता है कि ऐसा प्रतीत होता था वैदिक उत्तरवैदिक ग्रंथ इतिहास और संपूर्ण इतिहास दर्ज करें।

ऐसा किया भविष्य का वीडियो.सीखने से लाभ मिल सके इसलिए हम वैज्ञानिक रूप से हमारे कारण और प्राचीन इतिहास की प्राचीनता का सिद्धांत बताते हैं

हजारों साल पहले भारत की अद्भुत कहानियाँ का प्रस्ताव

जारों साल पहले भारत की अद्भुत कहानियाँ

  • यह कहना बहुत मुश्किल है कि भारतीय निजी में मानव जाति के समय बसी थी लेकिन इंडोनेशिया की मात्रा में स्थित दो डोबा के अवशेषों का विनाश विपोर्ट ने 75000 साल पहले भारतीय भूभाग से इंसानवनस्पतियों और सभी जीवो का विनाश किया गया था
  • तोबा के विनाशकारी विस्फोट से पूरे भारत में लगभग 15 अवशेष मोती राख की परत जमा कर दी गई थी कोहिनूर से लेकर पुरम के अंतिम स्थल डोबा विस्फोट की घटना से पहले और बाद में मानव निवास का प्रमाण यह संभव है
  • अमीर और हिंदू कुश पर्वत कीअवशेषों में रहने वाले कुछ लोग बचे पाए जाएंगे उत्तर पश्चिमी और उत्तर भारत में बचे हुए लोगों के आवास स्थल इस प्रकार बन गए सप्त सिंधु क्षेत्र और सरस्वती नदी वैदिक सभ्यता की जन्मस्थली पूर्वी उत्तर प्रदेश के लहुरादेव झील के तट पर आरंभ में बनी कृषि का समय 13000 ईसा पूर्व 7300ईसा पूर्व से लेकर 9300 ईसा पूर्व तक के ईसा पूर्व 
  • वैदिक साहित्य में कई संदर्भ मृग शराख़ी नक्षत्रों में उत्तरायण के आद्यांत चरण का संकेत देते हैं, जिसमें प्रजापति दक्ष और उनके 27 देवताओं की वैदिक तथा स्पष्ट रूप से 28 नक्षत्रों की मृग शरीकी सूची मिलती है
  • , जो 11200 इस पर्व के करीब कोई बस बस मन है। उत्तरायण वृक्ष की शुरुआत आमिर खान से हुईनक्षत्रों में 11280 इस पर्व के आसपास था और रोहनी नक्षत्रों में 100200 से 9200 इस पर्व के आसपास उत्तरायण 9200 से 8200 इस पर्व के आसपास कृतिका नक्षत्रों में था
  • अथर्ववेद के नक्षत्र सूत्र को 9200 से 9000 इस पर्व के आसपास पुन: स्थापित किया गया था। नक्षत्रों की सूची कृतिका नक्षत्रों से प्राप्त आरंभजब उत्तरायण हुआ तब कृतिका नक्षत्रों में अधिकांश ब्राह्मण और अरण्य को गोल-ज्ञान के रूप में शामिल किया गया, नक्षत्रों की सूची में अश्विनी नक्षत्रों से ही पुनरुद्धार की शुरुआत हुई
  • जब उत्तरायण 7200 में इस पर्व के आसपास अश्विनी नक्षत्रों को तृतीया ब्राह्मण में स्थानांतरित कर दिया गया।
  • इस पर्व पर 12000 से 11300 रुपये मिलते हैंदेवताओं और आश्रमों के बीच एक बड़ा संघर्ष तब हुआ जब अभिजीत यानी अफ्रीका में एक ध्रुव तारा था, समर तारामंडल का कश्यप समुदाय का व्याकरण 11000 था। इस पर्व की शुरुआत उत्तर ध्रुव पर 8800 से 8720 के आसपास हुई थी।
75000 साल पहले भारतीय भूभाग

75000 साल पहले भारतीय भूभाग

  1. का सर इस दौरान उत्तर ध्रुव पर था तमिल संगम साहित्य मेंबताया जाता है कि ऋषि अगस्त 11285 के आसपास इस पर्व के पहले संगम ने जन्म प्रस्ताव कन्याकुमारी में रहने वाले लोगों को 11000 से 10000 के बीच बुलाया था।
  2. वैदिक काल में सती का नाम इसी से जाना जाता हैहम रूप 12700 11500 इस पर्व के आसपास मेल्ट वॉटर पल्स वन की अवधि के दौरान निर्मित हुई मशाल के बदले हुए जल को रोका जा रहा था
  1. जो कि निर्मल पुराण में बताया गया है कि कश्मीर घाटी बड़ी यह झील बड़ी झील थी जो वह मन्वन्तर के बीच में ही मल्लाह के रूप में बहती थी 11200 के आसपास लगातार बारिश के बाद इस त्योहार 
  1. जब वानर सेना लंका की और कुछ करने के लिए तैयार थी तो यह खगोलीय अभिलेख 22 अगस्त से 3 सितंबर 5635 तक शुक्र ग्रह पर उपलब्ध था। इस पर्व के मूल नक्षत्रों में लगभग 23 अगस्त 5635 को हेली धूमकेतु ने प्रवेश किया था। किया था
  2. 23 अगस्त 5635 ईसा पूर्व हेली धूमकेतु का प्रत्यक्ष मैग्नीट्यूड 2.14 यह 30 अगस्त और 30 सितंबर के बीच 5635 ईसा पूर्व में सूर्य के बाद की आंखें दिखाई दे रही थीं
  • जो धीरे-धीरे हेलो सिम के समुद्र स्तर तक पहुंच गई थी के अध्ययन के अनुसार श्रीलंका कम से कम 6200 ईसा पूर्व तक भारतीयप्रदीप सिंह के पास अंतिम पल्स मेल्ट वॉटर पल्स 1 कम डब मानसी 6200 से 5600 था। नल ने रामसेतु के निर्माण के लिए जमीनी स्तर को अधिकतम 2 मीटर तक बनायाऊँचे उठे हुए
  • धनुशकोडी और तलाई मानव के बीच समुद्र तट से कम से कम 14 मीटर नीचे इस प्रकार के रामायण युग के 5677 से 5577 के संपूर्ण के आसपास स्थापित किया जा सकता है जिसे महाभारत युद्ध की तिथि 3162 के रूप में पूरा किया जा सकता है।
  • वास्तव में भारतीय कार्यक्रम में संयुक्त भारतीयप्राचीन संवतों की उत्पत्ति पौराणिक कथाओं से हुई है जो ताम्रपत्र उत्तरी कर्नाटक में शक संवत 530 अर्थात 9 में 53 पूर्व में हुआ था,
  • जो संपूर्ण सूर्य ग्रहण को निर्दिष्ट करता है जो बताता है कि शक संवत 583 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था और शक संवत 78 ईस्वी में इतिहासकारों नेगल से दो की शुरुआत हुई660 वर्ष पुरानी कला त्रुटिपूर्ण होने के कारण 660 वर्ष पुराने ताल गुंडा के मंदिर में पाए गए
  • समकालीन पत्थरों में से एक प्लेट को शक संवत में और दूसरे को संवत में दिनांकित किया गया है 660 वर्ष पुरानी मूर्ति के स्थान पर बाद में जैन इतिहासकारों ने अज्ञानी में कहा-मौर्य राजाचंद्रगुप्त के साथ भद्रबाहु के शिष्य म्युजियम के राजा चंद्रगुप्त की पहचान, जो महावीर को बुद्ध के समकालीन बनाते थे, वास्तव में बुद्ध ने महावीर का निर्माण 675 वर्ष पहले कराया था, जो पूर्व

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