चांद के उस हिस्से पर चंद्रयान-3 ने लैंड किया वहां पर 14 दिनों तक रोशनी

चांद के उस हिस्से पर जहां चंद्रयान-3 ने लैंड किया हैं। वहां पर 14 दिनों तक रोशनी होती है और 14 दिनों तक बिल्कुल अंधेरा ।

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14 दिन तक बिल्कुल अंधेरा रहता है तो 14 दिन तक चंद्रयान-3 का अर्थ पर मौजूद इसरो की टीम से कैसे की जाती हैं।

चंद्रयान 3 में किया गया हैं। वहां 14 दिन तक रोशनी होती हैं। और 14 दिन तक बिल्कुल अंधेरा रहता हैं। तो 14 दिन तक चंद्रयान-3 का अर्थ पर मौजूद इसरो की टीम से कैसे की जाती हैं। चांद पर रोशनी सॉफ्ट लॉन्च करने वाला चौथा मुजाहिरा तो बन गया हैं।

लेकिन यहां के साउथ पोल पर आज से पहलेकिसी और अमेरिकी अंतरिक्षयान ने लैंड नहीं कर पाई और अपोलो 11 को चांद तक पहुंचने में केवल तीन दिन जमके चंद्रयान 3 को 40 दिन क्यों गए नसेरिन 23 अगस्त 2023 पति को चंद्रयान-3 के चांद के साउथ पोल पर एकल लैंडिंग ने देश कुमार को सवाल का जन्म 1959 में जब यूनियन के लूना टू स्पेस प्लांट में हुआ था।

वहां 14 दिन तक रोशनी होती हैं। और 14 दिन तक बिल्कुल अंधेरा रहता हैं। तो 14 दिन तक चंद्रयान-3 का अर्थ पर मौजूद इसरो की टीम से कैसे की जाती हैं। चांद पर रोशनी सॉफ्ट लॉन्च करने वाला चौथा मुजाहिरा तो बन गया हैं। लेकिन यहां के साउथ पोल पर आज से पहलेकिसी और अमेरिकी अंतरिक्षयान ने लैंड नहीं कर पाई और अपोलो 11 को चांद तक पहुंचने में केवल तीन दिन जमके चंद्रयान 3 को 40 दिन क्यों गए।

नसेरिन 23 अगस्त 2023 पति को चंद्रयान-3 के चांद के साउथ पोल पर एकल लैंडिंग ने देश कुमार को सवाल का जन्म 1959 में जब यूनियन के लूना टू स्पेस प्लांट में हुआ था। चांद पर पहले लैंडिंग की तो उसके बाद लाइसेंस का चांद पर जाने का रॉकेट शुरू हो गया।

  • अभी तक कुल 12 वैज्ञानिकों के जाने से 138 मोहन मिशन की शुरुआत हुई। तो अब सवाल हैं। कि चंद्रयान-3 ने ऐसा क्या किया हैं। जो पूरी दुनिया के लिए जिम्मेदार हैं। अभी तक 138 रनर मिशन जारी हैं। लेकिन इसरो ने असल में वह कारनामा अंजाम दिया आज तक किसी ने भी पहली बार बात नहीं की हैं। तो यह भारत में सबसे पहले किस चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग की हैं।
  • यानी चांद का निकला अकाउंट बेशुमार क्रिएटर बड़े-बड़े कलाकार और खतरनाक उद्योगपति से भरा हुआ हैं। और जहां से सूरज निकला हैं। ज्यादातर सेट ही नहीं होता, इसी वजह से यह फिल्म और बड़े-बड़े क्रिएटर होते हैं। परमानेंट शैडोज बनाते हैं। जहां बिल्कुल अंधेरा होता हैं। और स्पष्ट होता हैं। जब रोशनी ही नहीं होगी।
  • तो यहां पहुंचना इतना मुश्किल हो जाता हैं। कि एटमॉस्फेयर का अर्थ ठीक नहीं हैं। इसका मतलब यह हैं। कि जिन इलाकों में पर्सन लाइट की बहुतायत हैं। वहां टेंपरेचर 120 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता हैं। और जहां लाइट नहीं हैं। वहां – 250 डिग्री सेल्सियस साउथ पोल पर इन शैडोज में इतनी ठंड होने की वजह से ऐसा माना जाता हैं। कि यहां वॉटर की मौजूदगी हैं।

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