पृथ्वी के नीचे क्या है लिए हम जानते हैं हमारे जरिए आपको बताते हैं

पृथ्वी के नीचे क्या है लिए हम जानते हैं हमारे जरिए आपको बताते हैं तापमान 4400 डिग्री सेल्सियस से 5000 सेल्सियस डिग्री से भी ज्यादा है पृथ्वी से 5 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह पर जा सकते हैं

ऐसे ही रोचक बातें पढ़ने के लिए क्लिक करें

पृथ्वी से 5 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह पर जा सकते हैं

पृथ्वी के नीचे क्या है लिए हम जानते हैं हमारे जरिए आपको बताते हैं

दोस्तों आज किसी टेक्नालॉजी के युग में अगर हम इंसान पृथ्वी से 5 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह पर जा सकते हैं तो पृथ्वी के आर पार निकालने के लिए तो मात्र 12000 किलोमीटर ही जाना होगा इसके लिए पृथ्वी का सबसे गहरा खड्डा वैज्ञानिकों द्वारा खोदा गया है जिसका नाम है कोलस सुपरडीप बोल इसकी गहराई 12 किलोमीटर है

लेकिन जाकर कर ऐसा क्या हुआ कि वैज्ञानिकों ने स्कूल को मात्र 12 किलोमीटर खोज कर ही रुक गए और आपके मन में कभी ना कभी यह सवाल भी आया होगा कि हम जहां पर रहते हैं यानी कि हमारे पृथ्वी कितनी गहरी है इसकी गहराई में क्या-क्या छुपा है

पूरी पृथ्वी 71% से ढकी हुई है

हमारे वैज्ञानिक इसके अंदर की जानकारी कैसे हासिल कर सकते हैं तो दोस्तों इन्ही सवालों के जवाब आपको इस वीडियो में मिलेंगे दोस्तों हमारी पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 4.5 बिलियन साल पहले हुई थी और या पूरी 71% से ढकी हुई है अंतरिक्ष से देखने पर या पूरी गोल दिखती है

लेकिन यह वास्तव में अंडाकार है शहर की बात नहीं में जानना है अमृतसर क्या है हमारी पृथ्वी का अंदर का भाग पूरे कर लेयर से बना हुआ है क्रेस्ट प्लेयर मेटल लेयर आउटर कोर और इनर कोर ऊपरी लेयर यानी प्लेयर है इस पर हम सब रहते हैं आपको धरती के अंदर बड़ी-बड़ी खदानें दिखाई दे रही है

और सभी इसी लेयर के ऊपर हिस्से में ही मौजूद है और तो और पृथ्वी का सबसे गहरा खट्टा भी इसी लेयर में मौजूद है इसका नाम है सुपर दीप अगर आप इसके बारे में नहीं जानते हम आपको बता दे की कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने रूस में दुनिया का सबसे गहरा गड्ढा खोदने का प्लान तैयार किया था रूस में खुद का गड्ढे की गहराई 12 किलोमीटर है

और यह गड्ढा पृथ्वी की ऊपरी भाग में यानी क्रेस्ट लेयर में ही समाप्त हो जाता हैउसे पर वैज्ञानिकों ने पूरे 20 साल तक काम किया था यानी कि पृथ्वी को सिर्फ और सिर्फ 12 किलोमीटर तक खोदा गया है बताया जाता है कि जब वैज्ञानिक या गड्ढा खोद रहे थे जैसे-जैसे यह हॉल गहरा होता गया वैसे-वैसे पृथ्वी के अंदर का तापमान बढ़ता गया और यह तापमान करीब करीब 350 डिग्री तक पहुंच गया था

इंसान पृथ्वी से 5 करोड़ किलोमीटर दूर मंगल ग्रह पर जा सकते हैं तो पृथ्वी के आर पार निकालने के लिए तो मात्र 12000 किलोमीटर ही जाना होगा

और इसी वजह से वैज्ञानिकों के सारे कारण पिघलने लगा गए थे जिस वजह से इस फोन को और गहरा करने में वैज्ञानिक नाकामयाब हो गए साथियों इस सल की और ज्यादा खुदाई करने के मत में कुछ वैज्ञानिक अस्मत भी थे उनका मानना था कि पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र भी पृथ्वी के केंद्र बिंदु से उत्पन्न होता है

अगर यह और पृथ्वी की आर पार कर दिया गया तो हो सकता है कि पृथ्वी पर बनने वाला यह चुंबकीय क्षेत्र नष्ट हो जाए और पृथ्वी के अपने चुंबकीय क्षेत्र का गुण को देने से क्या होगा इस विनाश के बारे में हम सोच भी नहीं सकते हैं क्रश प्लेयर को दोस्तों क्रेस्ट लेयर दो भागों में बनता है

पहले है उसे सैनिक ट्रस्ट यानी कि जिस पर समुद्र है और दूसरा भाग है कॉन्टिनेंटल क्रस्ट इस पर पूरा ठोस धरातल भरा हुआ है इसलिए की गहराई 100 किलोमीटर तक है और उसका टेंपरेचर 500 से 1000 डिग्री सेल्सियस तक रहता है धरती पर आने वाले भूकंप और महाद्वीपों में होने वाली हलचल के पीछे जिम्मेदार है इस लेयर में धरातलीय जल पटरी पथरीली चट्टानें से और कई धातु मौजूद है जिनको हम निकल कर उसे करते हैं

  • मेटल लेयर इसकी मोटाई 100 किलोमीटर से शुरू होकर 2890 किलोमीटर गहराई तक फैली हुई है

पृथ्वी की सात से 2900 किलोमीटर से शुरू होकर 6400 किलोमीटर नीचे तक होता है

यानी कि मेटल प्यार के बारे में बढ़ने पर आती है मेटल लेयर इसकी मोटाई 100 किलोमीटर से शुरू होकर 2890 किलोमीटर गहराई तक फैली हुई है पृथ्वी का यह मेटल भाग विहत गधा ग्राम लव है और उसका तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस से 5000 डिग्री सेल्सियस तक है और यहां संबंधीय धाराएं चलती है चौक से बनी है

और इसमें मैग्नीशियम और लोहे की काफी ज्यादा मात्रा हैं दोस्तों क्रेस्ट लेयर और मेटल लेयर को पार करने के बाद हम पृथ्वी की तीसरी लेयर यानी कि कर लेयर पर पहुंच जाएंगे कर लेयर पृथ्वी की सात से 2900 किलोमीटर से शुरू होकर 6400 किलोमीटर नीचे तक होता है

या पृथ्वी के आयतन 16% भाग है कॉल वाली इस परत में बहुत भारी धातु में मौजूद है जिनका आयतन एवं घनत्व ज्यादा है लोहा या निगल धातु की मात्रा सबसे ज्यादा है और कब आ रही है साल लिक्विड रूप में है और आंतरिक का ठोस है बहुत सारे हेवी मेटल का एवं सिलिकेट कॉल एक परत से अलग करती है कॉल को मुख्य दो भागों में बांटा गया है पहले है

आउटर कोर और दूसरा है इनर कोर आउटर कोर जैसा की इसके नाम से ही पता चल रहा है या तो उसके बाहरी भाग को कहते हैं और यह पृथ्वी के 2900 किलोमीटर गहराई के लिए जाना जाता है

पृथ्वी का आउटर कोर लोहे और निगल का बना हुआ है दरिया बहुत गर्म है या इतना गर्म है कि इसका तापमान 4400 डिग्री सेल्सियस से 5000 सेल्सियस डिग्री से भी ज्यादा है यहां इतनी गर्मी होती है कि लोहा निकलते जैसी धातु भी पिघल जाती है पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड के लिए आउटर कोरिया जिम्मेदार होता है जिससे कंपास की सहायता से हम कंपास की मदद से डायरेक्शन का पता लगा सकते हैं यही मैग्नेटिक फील्ड सूरज से आने वाली सोलर वेब से हमारी रक्षा भी करता है

  • कोकोर आउटर लेयर के नीचे धरती की अंदर इनर कोर मौजूद है जिसका तापमान 6000 सेल्सियस डिग्री है या सूर्य के तापमान जितना गर्म होता है

इनर कोकोर आउटर लेयर के नीचे धरती की अंदर इनर कोर मौजूद है जिसका तापमान 6000 सेल्सियस डिग्री है या सूर्य के तापमान जितना गर्म होता है अगर आपको पता ना हो तो सूर्य का तापमान 6500 सेल्सियस डिग्री होता है अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह कितना गर्म हो सकता है और हैरानी की बात यह है

इतना तापमान होने के बावजूद भी यह बात सॉलिड फॉर्म में होती है दरअसल इसके ऊपर इतने सारे लेयर्स का प्रेशर होता है इसकी वजह से यह सॉलिड बम में होती है और इस पृथ्वी का केंद्र कहा जाता है यानी सेंटर इसे हम इस प्रकार से भी समझ सकते हैं

अगर हमें इस पृथ्वी के सेंटर पॉइंट पर जाना हो तो हमें 6400 किलोमीटर गहरा खड्डा खोदना होगा अब हम जानते हैं रिसर्च कैसे मुमकिन होती है आपको भी लगता होगा अगर इंसान 6400 किलोमीटर गहराई में जा नहीं सकता तो यह रिसर्च कहां से हो सकती है वैज्ञानिक कैसे इन डाटा को कलेक्ट करते हैं और इनको कैसे पता चलता है

कि पृथ्वी की गहराई में क्या है पृथ्वी की आंतरिक परतों पर उपलब्ध जानकारी भूकंपीय प्रसार के अध्ययन से प्राप्त की जाती है जो की परतों में होती है और पृथ्वी की सतह पर कैप्स की जाती है और एक उपकरण जिसे सुषमा ग्राफ कहा जाता है यह वही उपकरण है जो भूकंप पर्दा को नापता है इसके अलावा ज्वालामुखी से निकला हुआ लव इस तरह के अध्ययन में काफी अध्ययन करते हैं

Leave a Comment